सात सुरों से सजी संगीता
संग सजन सपनों से सुंदर ।
सात सुरों से सजी संगीता ।।धृ ।।
प्रणय मिलान की आस तुम्हारे।
उसी प्रणय को अर्पण कविता ।।१।।
बहने दे रस प्रीत में प्रीतम ।
यौवन को जिलें संगीता।।२ ।।
पिने दे अधरों से तेरे ।
मधुर सुधा की भरी सरिता ।।३ ।।
मेरे शब्द है आज अधुरे ।
गीत बना दे इसे संगीता ।।४ ।।
अपनाले ये कायनात या ।
बन जा मेरी प्रणय देवता ।।५ ।।
संग सजन सपनों से सुंदर ।
सात सुरों से सजी संगीता ।।धृ ।।
प्रणय मिलान की आस तुम्हारे।
उसी प्रणय को अर्पण कविता ।।१।।
बहने दे रस प्रीत में प्रीतम ।
यौवन को जिलें संगीता।।२ ।।
पिने दे अधरों से तेरे ।
मधुर सुधा की भरी सरिता ।।३ ।।
मेरे शब्द है आज अधुरे ।
गीत बना दे इसे संगीता ।।४ ।।
अपनाले ये कायनात या ।
बन जा मेरी प्रणय देवता ।।५ ।।